वाह !क्या सीन है ? Arvind dixit

वाह !क्या सीन है ?--------------उनका घर कुरुक्सेत्र बना प्रतीत हो रहा था पत्नी अर्जुन की तरह शरसंधान किये जा रही  थी'भीष्म सी माँ के सामने ममता शिखंडी बन सामने आ जाने से वे हथियार डाल केवल बचाव के प्रयास से घायल होती जा रही थी !
माताजी के सपूत कृष्ण की भूमिका में हो कर 'घोड़ो की रास के स्थान पर हाथो में अख़बार लिए मों न ग्रहयुध्द  का आनंद ले रहे  थे ?
अरे !अर्जुन ने एक और अमोघ तीर चलाया ----- "आप मेरी शादी से आज तक मुझसे सिर्फ लेती ही आ रही है !सिर्फ लेती !बताओ आपने मुजे कभी कुछ दिया भी है ?"
""हा !दिया था एक बार तुम्हे >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>अपना  बेटा ""'एकलोता बेटा !"
भीष्म के धराशाई होने से पहले उनकी आखो से गिरी आंसू की दो बुँदे !जो उनके चश्मे से फिसल चेहरे की झुरियो में खो गयी /
बिना किसी शांति वार्ता युध्द विराम हो चूका था ?
अरविन्द