शंभू साधारण-
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नारी कब अपने सम्मान की बात करती है
है शक्ति, पर कहाँ अभिमान की बात करती है
हाँ
वो नहीं चाहती
किसी खास दिवस पर
सम्मान की पात्रता
नहीं चाहती
किसी खास दिवस पर
बधाईयों की लम्बी लाईन
बस
हो सके तो
कभी किसी नारी का अपमान मत करना
बेशक सह लेगी
किसी कार्टूनिस्ट के ब्रश की मार
दौड़ लेगी
किसी व्यंग्य में
बेलन लिये
नाच लेगी
श्रृंगार रस की कवाताओं में
मगर
धरातल पे
उसके अस्तित्व को मत खोने देना
क्योंकि
वो हो
तभी हम हैं
जय शक्ति