कर्ज़ : मां की ममता का

तेरी ममता तेरा दर्द
कोई समझ ना पाया मां ।
तेरी दूध का कर्ज़ अभी तक
कोई चुका ना पाया मां ।

अपने सीने से लगा कर
तूने मुझे सुलाया  मां ।
जब भी रोया रातों को
तूने चुप कराया मां ।
चंदा मामा की प्याली में
गुट गुट कर मुझे खिलाया मां।

 करके गिला बिस्तर चिल्लाकर रात भर
 नींदों से तुझे जगाया मां ।
खुद दर्द सहकर अपने लाल को
जग में बड़ा बनाया मां ।
होकर बड़ा मैं समझ सका ना
तुझको बहुत सताया मां ।

एक दिन कर दी शादी  तूने मेरी
 अपना कर उसे, मैंने तुझे भुलाया मां ।
होके मायूष फिर भी तूने
मुझको गले लगाया मां ।

भूल गया मैं तेरा दर्द
मैंने तुझे रुलाया मां ।

एक दिन हो गई विलीन तू
 -पंचतत्व में
तुझ को ढूंढ ना पाया मां ।

अब खेत चिड़िया चुग गई
 पछता के भी तुझको
वापस ला ना पाया मां

अदा कर पाऊंगा ना कभी
- तेरा कर्ज
तूने दूध पिलाया मां

तेरी ममता तेरा दर्द
कोई समझ ना पाया मां

 तेरी दूध का कर्ज़ अभी तक
 कोई चुका ना पाया मां ,
        कोई चुका ना पाया मां ,
             कोई चुका ना पाया मां।

-: मनीष कुमार तिवारी :-